Khatta Aam hindi kahani|खट्टा आम हिन्दी कहानी
एक साहूकार थे। उनका नाम था भोलाराम । उनका एक पुत्र था जिसका नाम था जीवाराम। लेकिन उसे सभी गांव वाले बुद्धूराम कहकर चिड़ाते थे। चिड़ाते भी क्यों नही उसके काम ही ऐसे थे। भोलाराम का इकलौता बेटा होने के कारण उसे बोहोत ही लाद प्यार से बड़ा किया था। ज़िद्द करना और आलस्य से भरा जीवन था उसका। कभी कोई काम नही करता था।
भोलाराम की आयु हो गयी थी। घर का बोझ अब उनसे संभाला नही जगह था लेकिन इस बात से उनके बेटे को कोई फर्क नही पड़ रहा था। वो तो बस सारे दिन आराम करना और मौज मस्ती में दिन बीता रहा था। अब भोला राम को अपने बेटे के भविष्य की चिंता सताने लगी।
एक दिन उस गांव में एक साधु पधारे। वे सबके दुखों का निवारण कर रहे थे। भोलाराम भी अपने बेटे को साथ लिए उनके यहां गए। साधु से अपनी चिंता की सारी बातें बतादी और विनती की अब आप ही इस समस्या का समाधान कीजिये। साधु ने जीवाराम के स्वभाव को भांपते हुए उसको प्यार से ही सबक सिखाने का निर्णय लिया।
एक आम की टोकरी मंगवाई और उसमे से एक आम जीवाराम को पकडाकर खाने के लिए कहा। जीवाराम ने पहला टुकड़ा खाते ही उसे मुह सिकोड़ते कहा: “छी छी” ये तो हॉट ही खट्टा है, ये कहते हुए उसने वो आम ज़मीन पर फ़ेंकदिया। मुस्कुराते हुए साधु ने दूसरा आम दे दिया। वो आम मीठा था, इसलिए जीवाराम ने खुशी खुशी पूरा खलिया। फिर उन साधु ने जीवाराम से कहा ” बेटा, तुमने दो तरह के आम का स्वाद चखा। एक खट्टा था और दूसरा मीठा था। खट्टे को तुमने फेंक दिया लेकिन मीठे को खालिया। जीवन मीठे आम की तरह बनाने के लिए खट्टी आदतों को जैसे आलस्य, लापरवाही को त्यागना होगा वार्ना तुम्हें भी लोग त्यागदेंगे। मीथे आम की तरह बन ने के लिए तुम्हे भी मेहनत करनी होगी। साधु की बातों को सुनकर जीवाराम को अपनी भूल का एहसास हुआ।
फिर क्या, वो उस दिन से मेहनत करने लगा और स्वयं निर्भर होकर सारे काम करने लगा।