Jadui beej|जादुई बीज हिंदी कहानी
बहुत समय पुरानी बात है। दो भाई थे ह्यू वूंग और नोल बू। छोटी ही उम्र में उनके माता पिता स्वर्ग सिधारगये थे। ह्यू वूंग अमीर था और दूसरे गांव में रहता था वह जितना अमीर था मन से उतना ही गरीब और बुरा था। उसके पास बहुत से एकड़ जमीन, रहने को बडा महल जैसा घर, नौकर चाकर, खेती बाड़ी, गाये भैंस बकरी इत्यादि सबकुछ था। दूसरी और नोल बू बहूत ही गरीब। खाने के लिए दो वक्त का कहना, तन पर फटे पुराने कपड़े और रहने को एक छोटी सी झोपड़ी। लेकिन दिल का उतना ही अमीर था। वह बहुत ही दयालु स्वभाव का था।
एक दिन काम से वापस लौटते हुए नोल बू को रास्ते पर एक कोने में, बहुत ही सुंदर चिड़िया मिली। वो ज़ख़्मी थी। उसका एक पैर टूटा हुआ था। नोल बू ने उसे देखते ही अपने हैतों में उठा लिया और घर लेगया। उसकी मरहम पट्टी की और उसका खयाल रखने लगा। उसको रोज़ खाने के लिए कुछ दाने डालना उसकी पट्टियां बदलना फिर उससे अपने मन का हाल सुनाता जैसे वो चिड़िया उसकी दोस्त हो।
कुछ दिन ऐसे ही बीते और चिड़िया के पंखों में जान आयी तो नोल बू ने ना चाहते हुए भी उसे छोड़ दिया। लेकिन वो चिड़िया उससे अब टैब मिलने आने लगी। एक दिन वो एक कद्दू का बीज लेकर आई अपनी भाषा मे नोल बू से कुछ कहने लगी। नोल बू ने कहा तुम यही चाहती हो ना कि में इसे कहीं गाड़ दूं। ठीक है ऐसा ही करूँगा। चिड़िया ने फिरसे कुछ चेह चैहाकर कहा और उड़ गई। नोल बू ने अपनी झोपड़ी के पास ही उस बीज का गाड़ दिया।
एक महीने बाद उस बीज से अंकुर फूटा, और दूसरे महीने में ही उसकी डालियों ने पूरी झोपड़ी घेर ली। तीसरे महीने में उस पूरी डाल पर बस एक ही कद्दू आया लेकिन दिन ब दिन बहुत ही बड़ा होता जारह था । जब वह खाने लायक होगया तो नोल बू ने सोचा कि इसको तोड़कर कुछ में रखलूँगा और बाकी का आस पड़ोस में बांट दूंगा, ऐसे कहते हुए उसको तोड़कर घऱ के अँदर लाया और जैसे ही उसने एक कुलाड़ी मारी उसके दो टुकड़े हुए और चम चमाते हुए सिक्कों का ढेर लग गया। उस चिड़िया को भगवान का भेजा दूत मानकर और उन सिक्कों को अपना उपहार मानकर रखलेता है
उसने अपनी छोटी सी झोपड़ी की जगह एक बड़ा सा घर बनवाया और ज़रूरत की सारी वस्तुएं इक्खट्टि की। अब तो उसके आस पास के गांव से उसके लिए रिश्ते भी आने लगे। उस चिड़िया का भी उससे मिलने का सिलसिला चलता रहा ।
एक दिन उसके भाई ह्यू वूंग को अपने भाई के अमीर होने की खबर मिली। अपने भाई के पास आकर उसने सारी बात निकल वाली। अब उसके मन मे लालच जागा, और वो उस चिड़िया को पकड़ने की योजना बनाने लगा।
कुछ दिन बाद जब वह चिड़िया नोल बू से मिलने आयी तो अचानक से उसको हयू वूंग के नौकरों ने पकड़ लिया। हयू वूंग ने चिड़िया की टांग तोड़ दी फिर उसकी मरहम पट्टी कर, दाना पानी देने लगा। जब वह ठीक हुई तो हयूं वूंग ने उससे उस कद्दुके बीज को लाने की बात कही और उसे छोड़ दिया।
कुछ दिन बाद वो एक बीज लेकर आई और ह्यू वूंग के सर पर पटक कर फुर्र से उड़ गयी। ह्यू वूंग ने तुरंत ही उसको अपने आंगन में गाड़ दिया। एक महीने बाद अंकुर, दूसरे महीने में डालिया और तीसरे महीने में बहूत ही विशाल कद्दू ऊगा। ह्यू वूंग रात्रि में उसे तोड़कर लाया और जैसे ही उसके उसके टुकड़े किये तो उसमें से भयानक राक्षस निकले और ह्यू वूंग पर हमला शुरू करदिया। उसको पूरे गांव में दौड़ाया और उसका पीछा टैब तक नही छोड़ा जब तक वो मार नही गया।
मोरल: कभी भी लालच नही करना चाहिए। लालच का फल बुरा होता है।
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