Chhath Pooja (छठ पूजा) महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा (Chhath Puja) व्रत करने की सलाह दी थी। छठ पूजा में महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत (Fast) रखती हैं। यानी इस दौरान न कुछ खाती हैं, नहीं कुछ पीती हैं। यह त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है.जिसकी शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इस त्योहार पर छठी मैया और सूर्यदेव की उपासना की जाती है। छठ के त्योहार पर महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और सुहाग व संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं।
जानिए कौन है छठी मां?
– छठी माता ब्रह्रााजी की मानस पुत्री माना जाता है।
– छठ माता को भगवान सूर्य की बहन भी माना जाता है।
– छठ माता को देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी भी माना गया है।
-संतान की लंबी आयु और आरोग्यता के लिए छठ माता की विशेष पूजा आराधना की जाती है।
Chhath Puja
(Chhath)छठ महापर्व पूजा शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि के साथ छठ पूजा का आरंभ हो जात है। वहीं षष्ठी तिथि को शाम के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को 12 बजकर 41 मिनट (ए एम) से आरंभ हो रही है, जो 8 नवंबर को 12 बजकर 34 मिनट (ए एम) पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 7 नवंबर को ही सूर्य को संध्या अर्घ्य दी जाएगी।
(Chhath)छठ पूजा सामग्री
नए वस्त्र, बांस की दो बड़ी टोकरी या सूप, थाली, पत्ते लगे गन्ने, बांस या फिर पीतल के सूप, दूध, जल, गिलास, चावल, सिंदूर, दीपक, धूप, लोटा, पानी वाला नारियल, अदरक का हरा पौधा, नाशपाती, शकरकंदी, हल्दी, मूली, मीठा नींबू, शरीफा, केला, कुमकुम, चंदन, सुथनी, पान, सुपारी, शहद, अगरबत्ती, धूप बत्ती, कपूर, मिठाई, गुड़, चावल का आटा, गेहूं।
(Chhath)छठ व्रत कथा
कथा के अनुसार जब प्रथम मनु के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं हुई, इस कारण वे बहुत दुखी रहने लगे थे।महर्षि कश्यप के कहने पर राजा प्रियव्रत ने एक महायज्ञ का अनुष्ठान संपन्न किया जिसके परिणाम स्वरुप उनकी पत्नी गर्भवती तो हुई लेकिन दुर्भाग्य से बच्चा गर्भ में ही मर गया। पूरी प्रजा में में मातम का माहौल छा गया। उसी समय आसमान में एक चमकता हुआ पत्थर दिखाई दिया, जिस पर षष्ठी माता विराजमान थीं। जब राजा ने उन्हें देखा तो उनसे, उनका परिचय पूछा। माता षष्ठी ने कहा कि- मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री हूँ और मेरा नाम षष्ठी देवी है। मैं दुनिया के सभी बच्चों की रक्षक हूं और सभी निःसंतान स्त्रियों को संतान सुख का आशीर्वाद देती हूं। इसके उपरांत राजा प्रियव्रत की प्रार्थना पर देवी षष्ठी ने उस मृत बच्चे को जीवित कर दिया और उसे दीर्घायु का वरदान दिया। देवी षष्ठी की ऐसी कृपा देखकर राजा प्रियव्रत बहुत प्रसन्न हुए। और उन्होंने षष्ठी देवी की पूजा-आराधना की। मान्यता है कि राजा प्रियव्रत के द्वारा छठी माता की पूजा के बाद यह त्योहार मनाया जाने लगा।
दिवाली सम्पन्न होते ही लोगों को छठ पूजा (Chhath Puja) का इंतजार रहता है। यह पर्व उत्तर भारत सहित देश के विभिन्न हिस्सों में पारंपरिक विधि-विधान के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारतीय लोग विदेश में भी भिन्न-भिन्न जगहों पर इस इस त्योहार को मनाते हैं। कठिन नियम-निष्ठा के कारण छठ को सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। यह त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इस त्योहार पर छठी मैया और सूर्यदेव की उपासना की जाती है। छठ के त्योहार पर महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और सुहाग व संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं।
इस वर्ष छठ पूजा का त्योहार 8 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. इसके अगले दिन यानी 9 नवंबर को खरना और 10 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा। पूजा के अंत में 11 नवंबर की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा। आइये और जानते हैं छठ पूजा के बारे में…
पहला दिन: 5 नवंबर 2024- नहाय खाय (मंगलवार) (Chhath Puja 2022 Nahay Khay)
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इस दिन साफ़-सफाई और स्नान के बाद सूर्य देव को साक्षी मानकर व्रती महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं और चने की सब्जी, चावल और साग का सेवन करने के बाद व्रत की शुरुआत करती हैं।
दूसरा दिन: 6 नवंबर 2024- खरना (बुधवार) (Chhath Puja 2022 Kharna)
छठ पर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है और इस पूरे दिन महिलाएं व्रत होती हैं। शाम को खासतौर पर इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है। खीर को मिट्टी के चूल्हे पर बनाने की परंपरा है।
तीसरा दिन: 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य (गुरुवार) (Chhath Puja 2022 Surya Arghya)
छठ पूजा का तीसरा दिन खास छठ कहलाता है। इस दिन शाम के समय महिलाएं किसी तालाब या नदी के घाट पर जाती हैं। यहां छठ पूजा बेदी पर छठी मैया की पूजा-अर्चना करने के बाद पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य देने के बाद घाट से वापस जाकर घर पर कोसी भरने की परंपरा भी निभाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति मन्नत मांगता है और वह पूरी हो जाती है तो वह कोसी भरता है।
चौथा दिन: 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य (शुक्रवार) (Chhath Puja 2022 Surya Arghya)
छठ पूजा के चौथे दिन व्रत का पारण किया जाता है और इसके बाद छठ पर्व का समापन होता है। इस दिन सुबह के समय महिलाएं घाट पर जाकर उगते हुए सूर्य की पूजा करती हैं और फिर पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। इसके बाद घर आकर प्रसाद खाकर व्रत का पारण करती हैं।
(Chhath)छठ पूजा विधि:
-छठ पर्व के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता है-
ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
-पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
-अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें। इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें। साथ में थाली, दूध और गिलास ले लें। फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन रखें। इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें। सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें। इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें।
ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥
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