Chamkeela Patthar hindi|चमकीला पत्थर हिन्दी कहानी
बहुत पुराने समय की बात है। सुंदर समृद्धि से भरा एक गांव था। वहां के लोग खेती बाड़ी,मेहनत मजदूरी करके जीवन बितारहे थे। गाय, भैंस, बकरियां, मुर्गियां इत्यादि की संख्या तो लोगों से भी ज़्यादा थी। लोगों का मन भगवान के प्रति आस्था, दान धर्म, करुणा से भरा हुआ था। और उसी गांव में एक बाडा चमकीला पत्थर था, जिसके बारे में सभी गांव वासियों को मालूम था और वो पूरे गांव वाले उसे गांव की संपत्ति मानते थे,और तो और उस गांव के आस पास के ग्रामों में भी इसकी खबर थी।
उस अमूल्य संपत्ति की कहीं चोरी न हो जाए, इस विषय पर चर्चा हेतु, एक दिन बैठक बुलाई गई। सभी ने अपनी-अपनी राय बतायीं। सभी के मतों को सुन ने के बाद, ये फैसला लिया गया कि, उस पत्थर को किसी सुरक्षित ज़मीन में गाड़ दिया जाएगा।
अगले दिन एक भूमि जो बिल्कुल गांव के बीचों बीच थी उसमें उस पत्थर को गाड़ दिया गया। और ये बात किसी दूसरे गांव के किसी भी व्यक्ति के कानों में न पड़े, इसका वो प्रण लेते हैं। क्योंकि उस समय के बड़े बुजुर्गों ने अपनी संतानों तक उस बात की खबर नही होने दी थी, उस वाक्या के बाद वक्त भी गुज़रता गया और समय के साथ धीरे-धीरे उस ईंट के बारे में सभी भूलगये।
अब नई पीढ़ियां आचुकि थी। एक रोज़, एक युवक ने गांव के बीचों बीच की बंजर ज़मीन को जोतने लगा। जब उसने हल चलाया तो ‘ठन’ की आवाज़ सुनाई दी। उसके बैल वहां से आगे बढ़ न सके थे। युवक ने उस स्थान पर जाकर खुदाई करनी शुरू की, बड़ी मशक्कत के बाद उसे कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया। उसने आस पास देखा कि कहीं कोई उसे देख तो नही रहा फिर तसल्ली के बाद युवक ने उस चमकते वस्तु को निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन बहुत भारी होने की वजह से वो निकाल नहीं पाया। अछि तरह से उसे देखने के बाद उसको पता चला कि वह ममिली पत्थर नही बल्कि सोने का पत्थर है।
युवक ने उस जगह को फिरसे अच्छी तरह मिट्टी से ढक कर घर वापस चलागया। लेकिन अब उसको नींद कहाँ, रात भर करवटें बदल बदल कर उपाय सोचने लगा कि वो किस तरह उस पत्थर को घर लेकर आये। आखिर कार उसे एक उपाय सूझा। सुबह हुई और उसी स्थान पर पहुंचा। पहले उस पत्थर के उसने चार टुकड़े किये। पहले दिन एक टुकड़ा घर लेगया और उसने उसको बेचकर अपने घर मे खाने पीने की वस्तुओं से अपने घर को भरा। दूसरे दिन दूसरा टुकड़ा लेकर आया और उससे उसने अपने कच्चे घर को तुड़वाकर एक नया पक्का घर बनवाया और बचे हुए पैसों को अपने आगे के भविष्य के लिए रखलिये। कुछ दिन बाद तीसरे टुकड़े को लेकर आया,उसको बेचकर उससे उसने अपने गॉंव के जितने भी ज़रूरत मंदो में बाँटदिया। अब चौथे टुकड़े को लेकर आया और उस टुकड़े को एक ज़मीन लेकर वहां एक मंदिर बनवाया। इस तरह, उस युवक ने जाने अनजाने में ही सही, अपनी और सबकी मदत करके उस पत्थर को जिस मकसद के लिए वर्षों पहले छुपाया गया था, उसने आज पूरा कर दिया।
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