दीपावली 2024 (Deepawali)
इस साल दीपावली के दिन बहुत शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानें कब मनाया जाएगा यह पर्व और किस मुहूर्त में होगा लक्ष्मी पूजन शुभ?
इस साल दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. साल 2024 में कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी.. दीपावली के दिन लक्ष्मी और गणेश पूजन का खास महत्त्व है. दीपावली भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है. हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने की सबसे अंधेरी रात थी, अयोध्या के लोगों ने मिट्टी के दीयों से सड़कों पर रोशनी करके उनका स्वागत किया था।
दीपावली का महत्व:- पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम लंका विजय कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास पूरा करने के बाद अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्या का हर घर दीपक और रोशनी से जगमगा उठा था। अयोध्यावासियों ने भगवान राम के घर लौटने की खुशी में घर को दीपों से सजाया था। तब से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली या दीपावली का त्योहार मनाया जाता है
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दीपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 6:52 बजे से रात 8:41 बजे तक रहेगा.
- प्रदोष काल – शाम 6:10 बजे से रात 8:52 बजे तक वृषभ काल – शाम 6:52 बजे से रात 8:41 बजे तक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को सुबह 6:22 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर को सुबह 8:46 बजे समाप्त होगी ।
दीपावली पूजा सामग्री(Deepaawalee pooja saamagree)
1. रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), कपूर, केसर, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, मेहंदी, चंदन, सिंदूर, धूप, अगरबत्तियां, सातमुखी दीपक, रूई, नाड़ा या कलावा, दूर्वा, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, मिट्टी का दीया।
2. केल के पत्ते, पान, पान के पत्ते, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, शहद, दही, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूध, मेवे, खील, बताशे, प्रसाद, पंच मेवा, शकर, सप्तधान्य, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी व शुद्ध जल का मिश्रण), मधुपर्क (दूध, दही, शहद व शुद्ध जल का मिश्रण)।
3. चौकी, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, गंगाजल, थाली, चांदी का सिक्का, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते।
4. मेहंदी, चूड़ी, काजल, पायजेब, बिछुड़ी आदि आभूषण, नाड़ा, पान के पत्ते, पुष्पमाला, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, शहद (मधु), शकर, घृत (शुद्ध घी), ऋतुफल, (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि), नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि), इलायची (छोटी), तुलसी दल, सिंहासन (चौकी, आसन), पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि), लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति), गणेशजी की मूर्ति, सरस्वती का चित्र, चांदी का सिक्का, लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र, सफेद कपड़ा (आधा मीटर), लाल कपड़ा (आधा मीटर), पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार), दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), लेखनी (कलम), बही-खाता, स्याही की दवात, तुला (तराजू), पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल), एक नई थैली में हल्दी की गांठ, खड़ा धनिया व दूर्वा आदि।
दीपावली की पूजा विधि(Diwali Puja Vidhi)
दीपावली के अवसर पर जानिए दिवाली पूजा की सबसे सरल विधि और यह भी जानिए कि पूजन के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. ईशान कोण या उत्तर दीशा में साफ सफाई करके स्वास्तिक बनाएं। उसके उपर चावल की ढेरी रखें। अब उसके उपर लकड़ी का पाट बिछाएं। पाट के उपर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। तस्वीर में गणेश और कुबेर की तस्वीर भी हो। माता के दाएं और बाएं सफेद हाथी के चित्र भी होना चाहिए।
2. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। इसके बाद धूप-दीप चलाएं। सभी मूर्ति और तस्वीरों को जल छिड़ककर पवित्र करें।
3. अब खुद कुश के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।
4. माता लक्ष्मी सहित सभी के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी अंगुली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि) लगाना चाहिए। इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें। पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप करें।
गणपति पूजन | Ganapati Pujan
किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है. इसलिए हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें.
गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
आवाहन: ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ कहकर पात्र में अक्षत छोड़ें
लक्ष्मी पूजन Lakshmi Puja Vidhi
पूजा भगवती लक्ष्मी की साधना के साथ शुरू करना चाहिए . ध्यान आप के सामने पहले से ही स्थापित श्री लक्ष्मी प्रतिमा के सामने किया जाना चाहिए . भगवती श्री लक्ष्मी का मनन करते हुए निम्न मंत्र का जाप किया जाना चाहिए
ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल–कटि–तटी, पद्म–दलायताक्षी।
गम्भीरावर्त–नाभिः, स्तन–भर–नमिता, शुभ्र–वस्त्रोत्तरीया।।
लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। मणि–गज–खचितैः, स्नापिता हेम–कुम्भैः।
नित्यं सा पद्म–हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व–मांगल्य–युक्ता।।
बायें हाथ में अक्षत लेकर दायें हाथ से थोड़ा-थोड़ा छोड़ते जायें—
ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि।
अष्टसिद्धि पूजा Ashtsidhi Puja for Diwali
हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें.
ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:।
अष्टलक्ष्मी पूजन – Asht Laxmi Puja for Diwali
अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें.
ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:।
अब श्री लक्ष्मी को धूप की पेशकश अब श्री लक्ष्मी को नैवैद्य अर्पणदेवी को
“इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि”
मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें
5. दीपावली पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। इस दिन लक्ष्मीजी को मखाना, सिंघाड़ा, बताशे, ईख, हलुआ, खीर, अनार, पान, सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर-भात आदि अर्पित किए जाते हैं। पूजन के दौरान 16 प्रकार की गुजिया, पपड़ियां, अनर्सा, लड्डू भी चढ़ाएं जाते हैं। आह्वान में पुलहरा चढ़ाया जाता है। इसके बाद चावल, बादाम, पिस्ता, छुआरा, हल्दी, सुपारी, गेंहूं, नारियल अर्पित करते हैं। केवड़े के फूल और आम्रबेल का भोग अर्पित करते हैं।
6. दीपावली पूजा करने के बाद अंत में खड़े होकर उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है। दीपावली पूजा के बाद कपूर आरती जरूर करें। कर्पूर गौरम करुणा का श्लोक बोलें। आरती को सबसे पहले उसे अपने आराध्य के चरणों की तरफ चार बार, इसके बाद नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ घुमाएं। ऐसा कुल सात बार करें। आरती करने के बाद उस पर से जल फेर दें और प्रसाद स्वरूप सभी लोगों पर छिड़कें।
8. मुख्य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं।
9. पूजा और आरती के बाद ही किसी से मिलने जाएं, मिठाई बांटे या पटाखें फोड़े।
10. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अत: आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।
दीपावली पूजा में रखें 10 बातों का खास खयाल
1. दीपावली के पूजा रात्रि के विशेष मुहूर्त में की जाती है। मान्यता अनुसार चौघड़िया का महायोग और शुभ कारक लग्न देखकर रात्रि में लक्ष्मी पूजा का प्रचलन प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। लक्ष्मी कारक योग में पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है तो दूसरी ओर अच्छी और शुद्ध भावना से लक्ष्मी की पूजा से धन और समृद्धि बढ़ती है।
2. इस दिन प्रात: उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूजा की तैयारी कर लें। पूजा के समय घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर ही पूजा करें। पूजा जमीन पर ऊनी आसन पर बैठकर ही करनी चाहिए।
3. दीपावली पूजा के दौरान किसी भी प्रकार शोर न करें और ना ही किसी अन्य प्रकार की गतिविधियों पर ध्यान दें। ईश्वर के लिए जलाए जाने वाले दीपक के नीचे चावल अवश्य रखने चाहिए। पूजा के दौरान कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए।
4. तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए और न ही पतला चंदन देवी-देवताओं को लगाएं।
5. दीपावली पूजा के पूर्व घर आंगन को अच्छे से सजाएं। द्वार देहरी पर रंगोली और मांडने बनाएं। द्वार पर वंदनवार लगाएं, नियम से उचित संख्या में दीए लगाएं और मां लक्ष्मी के पदचिह्न मुख्य द्वार पर ऐसे लगाएं कि कदम बाहर से अंदर की ओर जाते हुए प्रतीत हों।
6. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। लक्ष्मी पूजा के समय सात मुख वाला घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
7. इस दिन किसी भी प्रकार का व्यसन करना या जुआ खेलना वर्जित है। मान्यता अनुसार इस दिन किसी के घर नहीं जाते। दिवाली मिलन का कार्य पड़वा के दिन किया जाता है।
8. आरती के बाद हमेशा दोनों हाथ से उसे ग्रहण करें।
9. पूजा-पाठ बगैर आसन के नहीं करना चाहिए।
10. पूजा के बाद अपने आसन के नीचे दो बूंद जल डालें और उसे माथे पर लगा तभी उठना चाहिए, अन्यथा आपकी पूजा का फल देवराज इंद्र को चला जाता है।