गोवर्धन पूजा(Govardhan Puja)
दीपावली के अगले दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है। यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। इस धनतेरस के बाद नरक चौदस, दीपावली और उसका अगला दिन होता है गोवर्धन पूजा। दीपों का पर्व यूं तो भगवान राम की घर वापसी और माता लक्ष्मी के पूजन के साथ मनाया जाता है। पर, गोवर्धन पूजा वाले दिन भगवान कृष्ण की पूजा होती है साथ ही गाय के गोबर से गोवर्धन देव बनाकर उन्हें पूजने की परंपरा भी रही है। अन्नकूट/गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई. यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। इस दिन मंदिरों में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान को भोग लगाया जाता है।
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (Govardhan Puja Time) की शुरुआत 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 02 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में गोवर्धन पूजा का त्योहार 02 नवंबर को मनाया जाएगा।
इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:34 pm से 08:46 am
गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त – 03:23 pm से 05:35 pm
गोवर्धन पूजा रात्रि मुहूर्त – 08:21 pm से 3 नवंबर को सुबह 05:58 am
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) सामग्री
धूप – Dhoop batti
चंदन – Chandan
फूल – Phool – flowers
फूल माला – Phool mala – flowers
रोली – Roli
चावल – Chawal
अनाज (गेहूं) – Gehu
मौली – Moli
तेल का दीपक – Tel ka dipak
मिठाई – Mithai
पान – Paan ke patte
केसर – Kesar
बताशे – Batasha
गुड़ – Gud
गाय का गोबर – Gobar
56 तरह के खाद्य पदार्थ – Chappan Bhog
बांसुरी – Bansuri
फल – Fruit
हरा चारा – Hara chara
गंगाजल – Gangajal
शहद – Shahad
दही – Dahi
शक्कर – shakkar
नैवेद्य – Naivedya
तुलसी – Tulsi
जल – Jal
Chhath Pooja :महत्व शुभ महूर्त सामग्री पूजन विधि
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)विधि
- सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं।
- इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें।
- कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।
- भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- इस दिन भगवान को 56 या 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है।
- भगवान श्री कृष्ण की आरती करें।
गोवर्धन पूजाGovardhan Puja:महत्व
बताया जाता है कि ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे, लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की जगह गोवर्धन पूजा करने की बात कही तो इंद्र रुष्ट हो गए और उन्होंने अपना प्रभाव दिखाते हुए ब्रजमंडल में मूसलधार बारिश शुरू कर दी। इस वर्षा से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और ब्रजवासियों की रक्षा की। गोवर्धन पर्वत के नीचे 7 दिन तक सभी ग्रामीणों के साथ गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे।
फिर ब्रह्माजी ने इंद्र को बताया कि पृथ्वी पर विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है। यह जानकर इंद्रदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की। भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव ‘अन्नकूट’ के नाम से मनाया जाने लगा. जिसे कार्तिक अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा मंत्र (Govardhan Puja mantra)
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के कुछ खास मंत्रों का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है। ऐसे में पूजन के बाद इन खास मंत्रों का जाप करें।
ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।।
प्रणत: क्लेशनाशय गोविंदाय नमो नम:।।नम: भगवते वासुदेवाय कृष्णाय
क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:।
गोवर्धन महाराज और भगवान श्री कृष्ण की पूजा के बाद इन मंत्रों का जाप करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और सुख-समृद्धि, यश वैभव की प्राप्ति होगी।
गोवर्धन पूजा(Govardhan Puja) पर इस विधि से करें आरती
गोवर्धन पूजा सुबह और शाम दो समय की जाती है। सुबह में जहां भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की धूप, फल, फूल, खील-खिलौने, मिष्ठान आदि से पूजा-अर्चना और कथा-आरती करते हैं, तो शाम को इनको अन्नकूट का भोग लगाकर आरती की जाती है।
गोवर्धन आरती (Govardhan Aarti):
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा, और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ, तेरी झांकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण। करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।